दिल्ली सरकार के 100 दिन: सेवा, समर्पण और विश्वास का सशक्त प्रमाण

जब भी राजनीति में कोई नई सरकार सत्ता में आती है, तो जनता के मन में आशाओं का एक नया सूरज उगता है। दिल्ली में यह सूरज तब चमका जब अरविंद केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता और प्रचार-केंद्रित राजनीति से तंग आ चुकी जनता ने परिवर्तन का रास्ता चुना और भाजपा की सरकार को अवसर दिया।

 केवल 100 दिनों में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में बनी सरकार ने यह दिखा दिया कि अब दिल्ली की दशा और दिशा दोनों ही सुदृढ़ हाथों में हैं। यह सरकार केवल वादों और नारों में विश्वास नहीं करती, बल्कि ज़मीन पर परिणाम देने का साहस और संकल्प रखती है।

इन सौ दिनों में सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि उसका मूलमंत्र “सेवा और पारदर्शिता” है। पिछली सरकार की तरह केवल प्रचार के शोर में खो जाने के बजाय, वर्तमान सरकार ने ‘काम करने वाली सरकार’ की भावना को वास्तविकता में बदल दिया है। ‘100 दिन सेवा के’ नामक कार्यपुस्तिका इसका जीवंत प्रमाण है, जिसे हर घर तक पहुँचाने का संकल्प सरकार ने लिया है। इसके साथ ही सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों और निगम वार्डों में जन संवाद के माध्यम से जनता से सीधे प्रतिक्रिया लेने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है—जो दर्शाता है कि यह प्रशासन जवाबदेही से परिपूर्ण है।

इस सेवा यात्रा में सबसे उल्लेखनीय पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की रही, जिसके तहत सरकार ने पात्र महिलाओं को ₹2500 प्रतिमाह की वित्तीय सहायता देना शुरू किया है। वहीं, वरिष्ठ नागरिकों के लिए शुरू की गई ‘वय वंदना योजना’ के अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को ₹10 लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। अब तक डेढ़ लाख से अधिक बुजुर्ग इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक काम हुए हैं। सरकार ने ₹12826 करोड़ का बजट स्वास्थ्य क्षेत्र को आवंटित किया है, जिसमें आयुष्मान भारत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन शामिल है। 1139 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का निर्माण आरंभ हुआ है, जो गरीबों और जरूरतमंदों के लिए पास में ही उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करेंगे। जन औषधि केंद्रों का विस्तार, 300 डायलिसिस मशीनों की स्थापना, 6 मोबाइल डेंटल वैनों द्वारा प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों का इलाज, और योग आधारित मधुमेह प्रबंधन योजना जैसे कदम न केवल उपचारात्मक, बल्कि जीवनशैली सुधारक भी हैं।

दिल्ली का परिवहन और पर्यावरण भी सरकार की प्राथमिकता सूची में प्रमुख स्थान पर रहा है, और इस दिशा में लोक निर्माण विभाग (PWD) और जल मंत्री परवेश वर्मा का योगदान उल्लेखनीय है। श्री वर्मा ने 100 दिन की एक ठोस कार्य योजना तैयार की, जिसके अंतर्गत सड़कों की मरम्मत, जल निकासी व्यवस्था और यमुना पुनरुद्धार जैसे जटिल विषयों पर केंद्रित प्रयास हुए। 228 किमी सड़कों की मरम्मत का लक्ष्य तय किया गया, जिनमें से 66 किमी का कार्य मानसून से पहले ही पूर्ण कर लिया गया। अक्षरधाम फ्लाईओवर से नोएडा मोड़ तक जैसे प्रमुख मार्गों का नवीनीकरण हुआ, 3000 से अधिक गड्ढों को भरा गया, और मानसून के बाद 250 किमी सड़कों के उन्नयन की तैयारी की जा रही है।

श्री वर्मा के मार्गदर्शन में जलभराव के 335 हॉटस्पॉट्स की पहचान कर उनकी जल निकासी व्यवस्था को सुधारने की योजना बनाई गई है। यमुना नदी के पुनर्जीवन हेतु 14 लाख मीट्रिक टन सिल्ट की सफाई की गई और 5 बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स लगभग 90% तक पूरे हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त, 40 नए डीसेंट्रलाइज्ड प्लांट्स और 330 किमी ट्रंक सीवर बिछाने की योजना भी शुरू की गई है। 

दिल्ली जल बोर्ड के टैंकरों पर GPS ट्रैकिंग की शुरुआत और 98 नए बोरवेल्स चालू किए गए हैं, जिससे पारदर्शिता और जल आपूर्ति में बड़ा सुधार हुआ है। पर्यावरण संरक्षण के तहत डस्ट मिटिगेशन गाइडलाइंस को सख्ती से लागू किया गया है, और 500 वर्गमीटर से बड़े निर्माण स्थलों पर डस्ट मॉनिटरिंग अब अनिवार्य कर दी गई है।

इसी प्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में भी शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सरकार के शतदिवसीय लक्ष्यों को साकार किया है। मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है और निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए अध्यादेश लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह कदम शिक्षा को समान और सुलभ बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

जन-सुरक्षा के क्षेत्र में सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं। अंधेरे क्षेत्रों को रोशन करने, दिल्ली अग्निशमन सेवा के लिए ₹500 करोड़ आवंटित करने, और हीट एक्शन प्लान के प्रभावी क्रियान्वयन जैसी पहलें सीधे जनता के जीवन को स्पर्श करती हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी योजनाएं महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को स्पष्ट करती हैं।

कुल मिलाकर, दिल्ली सरकार के ये 100 दिन केवल आरंभिक पड़ाव नहीं, बल्कि एक नए युग की ठोस नींव हैं। यह सरकार उस विश्वास और संकल्प की प्रतीक बन चुकी है जिसकी अपेक्षा जनता वर्षों से कर रही थी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के दूरदर्शी नेतृत्व में, परवेश वर्मा जैसे सशक्त प्रशासकों और आशीष सूद जैसे सक्रिय जनप्रतिनिधियों की मिलकर की गई मेहनत ने यह सिद्ध कर दिया है कि दिल्ली अब केवल वादों की नहीं, परिणामों की राजनीति देख रही है। 

केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल ने इस विकास यात्रा को और भी गति दी है। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो दिल्ली निस्संदेह निकट भविष्य में ‘विकसित दिल्ली, विकसित भारत’ के सपने को साकार करने वाली अग्रणी राजधानी बनेगी—एक ऐसी राजधानी, जिसमें आशा है, विश्वास है, और बदलाव की ठोस बुनियाद है।

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