फ्री पानी देने का दावा और दिल्ली का जल संकट: आम आदमी पार्टी पर सवाल

फ्री पानी देकर एोल पीटने वाली आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता को किस कदर ठगा है ओर दिल्ली की जनता किस कदर पानी का संकट झेल रही है। आप इन कुछ घटनाओं से समझ सकते है।

 जून 2024 में, दिल्ली जल बोर्ड के कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप कार्यालय की खिड़कियाँ तोड़ दी गईं।  सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इसी तरह, कई क्षेत्रों में पानी की कमी के कारण लोग सड़कों पर उतर आए, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई।

अक्टूबर 2024 में, लुटियंस दिल्ली के प्रमुख क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बाधित हो गई, जिसमें सरकारी मुख्यालय भी शामिल थे। यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण के कारण 27 क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता प्रभावित हुई। 

इसके अलावा, दिसंबर 2024 में, दिल्ली जल बोर्ड ने दक्षिण दिल्ली के कई क्षेत्रों में सुबह के समय पानी की आपूर्ति रोकने की घोषणा की, जिससे निवासियों को और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 

मुफ्त जल की रेवड़ी बांटने से दिल्ली जल बोर्ड की हालत खस्ता हो चुकी है। या तो दिल्ली में गंदा जल आ रहा है या नहीं आ रहा है। दिल्ली के हर इलाके में जलसंकट की स्थिति है। 

उत्तरी दिल्ली के कई इलाके, जैसे कि रोहिणी और सिविल लाइंस, पानी की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं, दक्षिणी दिल्ली के इलाकों जैसे कि चितरंजन पार्क और लोधी कॉलोनी में भी पानी की सप्लाई नियमित नहीं हो रही है। इस स्थिति ने लोगों को टैंकरों पर निर्भर बना दिया है, जिससे टैंकर माफिया का उदय हुआ है।

दिल्ली में पानी की किल्लत ने टैंकर माफिया को फलने-फूलने का मौका दिया है। लोग जब सरकारी सप्लाई से वंचित होते हैं, तो वे निजी टैंकरों पर निर्भर होते हैं, जो अक्सर अधिक कीमत पर पानी बेचते हैं। यह माफिया न केवल लोगों को लूटता है, बल्कि पानी की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठाता है। कई बार इन टैंकरों में प्रदूषित पानी भरा होता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जाने वाला पानी भी गुणवत्ता के मामले में कई बार संदिग्ध रहा है। यमुना नदी से आने वाला पानी अक्सर प्रदूषित होता है, जिसमें अमोनिया और अन्य हानिकारक तत्व शामिल होते हैं। यह स्थिति न केवल लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गई है बल्कि जल बोर्ड की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाती है।

अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए आप सरकार ने हरियाणा  पर आरोप लगाया है कि वह यमुना नदी में प्रदूषण बढ़ाने का काम कर रही है, जिससे दिल्ली को मिलने वाले पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। केजरीवाल अपनी बिफलताओं को छुपाने के लिए ऐसे तर्कहीन ओर बेतुके आरोप लगाने में माहिर हैं। 

दिल्ली में हर रोज़ 20-30 मिलियन गैलन पानी की कमी  

दिल्ली में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी का औसत आंकड़ा लगभग 60 गैलन प्रतिदिन है। इस गर्मी में, दिल्ली जल बोर्ड (क्श्रठ) ने राजधानी को 1,000 मिलियन गैलन प्रतिदिन (डळक्) पानी की आपूर्ति का लक्ष्य रखा है।

 लेकिन 2023 के दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, शहर में पानी की अनुमानित मांग 1,290 डळक् है। यह स्थिति यमुना नदी के घटते जल स्तर और अमोनिया के बढ़ते स्तर के कारण और भी गंभीर हो गई है। दिल्ली में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति में 20-30 डळक् की कमी दर्ज की जा रही है। हाल ही में यमुना के जल स्तर में गिरावट आई थी, 

जहां एक ओर पार्टी ने पानी की आपूर्ति और उसके प्रबंधन को लेकर कई वादे किए थे, वहीं दूसरी ओर वास्तविकता यह दिखाती है कि इन वादों का पालन नहीं किया गया। वित्तीय संकट, अवसंरचनात्मक समस्याएँ और राजनीतिक विवाद इस बात का संकेत हैं कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली जल बोर्ड को न केवल कमजोर किया बल्कि इसे भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का शिकार भी बना दिया।

दिल्ली में पेयजल संकट का एक प्रमुख कारण है बड़ी मात्रा में पानी चोरी और बर्बादी। यह दिल्ली  उपराज्यपाल कार्यालय की तरफ से बताया गया कि अकेले मूनक नहर में हरियाणा से पानी का करीब 18 फीसदी दिल्ली नहीं पहुंच रहा है। वहीं, दिल्ली में जल बोर्ड की पाइप लाइन में लीकेज से करीब 40 फीसदी पानी बेकार हो रहा है। 

उपराज्यपाल ऑफिस ने कइ्र बार दिल्ली सरकार को यो बतायां। लेकिन अरविंद केजरीवाल को जनता के मामले सुनने ओर समाधान करने की नीयत ही नहीं है।  मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि उपराज्यपाल बैठक का वीडियो सार्वजनिक करें। इससे असलियत सामने आ जाएगी।

दिल्ली में जल संकट की बड़ी वजह है पानी की चोरी ओर रखरखाव में कमी

दिल्ली के नौ में से सात जल शोधन संयंत्रों में हरियाणा से मिलने वाले पानी के लिए मूनक नहर एक मुख्य स्रोत है। नहर का रखरखाव न होने से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो रहा है। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान नहर से अनधिकृत रूप से पानी उठाते हुए देखा गया है। 

बैठक में इसकी तस्वीरें भी साझा कीं गई। इनमें दिल्ली में मुनक नहर के किनारे टैंकरों की लगी लाइन कोई नहीं  बात नहीं है। 

दिल्ली में पानी की कमी के संदर्भ में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गई थीं, लेकिन इन पर कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। इनमें पालम बाढ़ के मैदानों पर एक विशाल भूमिगत जलाशय का निर्माण और सिंगापुर के छम्ॅंजमत मॉडल को लागू करना शामिल है, जिसका उद्देश्य गंदे पानी को साफ करके पीने योग्य बनाना है। हालांकि, ये सभी परियोजनाएँ अभी तक केवल पायलट या योजना के चरण में ही हैं और आगे नहीं बढ़ पाई हैं। 

दिल्ली जलबोर्ड भ्रष्टाचार का बना अड्डा 

दिल्ली जल बोर्ड  भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में है, जो उसकी जल प्रबंधन प्रणाली और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की खराब स्थिति को उजागर करता है। हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय ने यूरोटेक एनवायरनमेंटल प्राइवेट लिमिटेड और अन्य कंपनियों के खिलाफ एक स्कैम की जांच शुरू की है, जिसमें 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के उन्नयन और विस्तार में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने  दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में कई स्थानों पर छापे मारे, जिसमें 41 लाख रुपये की नकदी और कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद किए गए।

इससे पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने भी दिल्ली जलबोर्ड अधिकारियों के खिलाफ एक भ्रष्टाचार मामले की जांच शुरू की थी, जिसमें 2017 में एक ठेके को अनुचित तरीके से एक निजी कंपनी को देने का आरोप था। इस मामले में क्श्रठ के अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने छज्ञळ इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को अनुचित लाभ पहुँचाया।

दिल्ली सरकार की एंटी-करप्शन ब्रांच ने भी पूर्व  सलाहकार अंकित श्रीवास्तव के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने रोहिणी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में मशीनरी की खरीद में भ्रष्टाचार किया। । 

दिल्ली  जल संकट का कारण है दिल्ली सरकार शराब घेटाले और शीशमहल बनाने में व्यस्त थी।दिल्ली की समस्या हल करने के लिए न ही उनकी नीयत है और न ही समय। इसका नतीजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।  

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