लोकसभा में वक्फ (संशोधन) बिल के पारित होने से भारतीय राजनीति में एक नई धारा का प्रवाह शुरू हो गया है। यह बिल, जो 232 मतों के मुकाबले 288 मतों से पारित हुआ, न केवल नरेंद्र मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि इसे राम मंदिर और धारा 370 के निरस्तीकरण के समकक्ष रखा जा सकता है। यह बिल वक्फ प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। हालांकि, इस बिल के पारित होने के पीछे छिपी राजनीतिक वास्तविकताओं और इसके संभावित प्रभावों को समझने के लिए हमें गहराई से खुदाई करनी होगी।
वक्फ बिल पर बहस के दौरान विपक्ष की मुद्रा बेहद दिलचस्प थी। राहुल गांधी की सदन से अनुपस्थिति ने उनकी राजनीतिक रणनीति का स्पष्ट झांकी प्रदान किया। विपक्ष ने इस बिल को “मुस्लिम विरोधी” बताया, लेकिन सरकार ने इसे “सुधारवादी” और “आधुनिकीकरण” का उदाहरण प्रस्तुत किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे “वोट बैंक की राजनीति” कर रहे हैं।
हिंदुओं के लिए, यह बिल एक सुधार है, क्योंकि यह वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को सीमित करता है और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करता है। विपक्ष की आलोचना अक्सर अतीत के भ्रष्टाचार और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को नजरअंदाज करने पर आधारित थी। वास्तव में, यह बिल वक्फ प्रणाली को आधुनिक और पारदर्शी बनाने के लिए एक प्रयास है, न कि उसे नष्ट करने के लिए।
वक्फ कानून : इतिहास और विवाद
वक्फ कानून की खतरनाकता का एक प्रमुख कारण था इसके तहत वक्फ बोर्ड को बिना किसी न्यायिक समीक्षा के किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने की शक्ति देना।
1995 में कांग्रेस सरकार द्वारा पारित वक्फ अधिनियम ने वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दीं, जिससे कई मामलों में भूमि अतिक्रमण और धार्मिक स्थलों का दुरुपयोग हुआ। इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों की संख्या बढ़कर 50,000 से अधिक हो गई, जो लगभग 6,00,000 एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं।
एक उदाहरण है दिल्ली की जामा मस्जिद, जिसके आसपास की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अवैध रूप से घोषित किया था।
इसी तरह, कई राज्यों में वक्फ बोर्ड की जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले सामने आए हैं। इन सभी मामलों ने वक्फ प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इसलिए, वक्फ संशोधन बिल एक आवश्यक कदम है, जो इन मुद्दों को संबोधित करने का प्रयास करता है।
सरकारी जमीन पर कब्जे के खिलाफ कार्रवाई
दिल्ली में प्रवेश वर्मा ने सरकारी जमीन और संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया है। उन्होंने कहा, “आगे क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।” यह कदम न केवल वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा, बल्कि सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा।
वक्फ बोर्ड की जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले ने देश की संपत्ति प्रबंधन प्रणाली को चुनौती दी है। इस बिल के माध्यम से सरकार ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि ऐसे मामलों को रोका जा सके और वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सके।
वक्फ (संशोधन) बिल 2024
वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिन्हें सरकार ने वक्फ प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए डिज़ाइन किया है। वास्तव में, ये प्रावधान वक्फ प्रणाली को आधुनिक बनाने और उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए किए गए हैं। इन प्रावधानों का विवरण इस प्रकार है:
1. वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव
- वक्फ बोर्ड में कुल 22 सदस्य होंगे, जिनमें से 10 मुस्लिम सदस्य होंगे। इनमें से दो महिलाओं का होना अनिवार्य है।
- बोर्ड में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे।
- संसद के 3 सांसद, जिनमें पूर्व अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं, Centre of Council के सदस्य होंगे, जो किसी भी धर्म के हो सकते हैं।
- वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी दोनों संप्रदायों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
2. वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर अंकुश
- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को अब अंतिम नहीं माना जाएगा। इन फैसलों को रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट और हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
- वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- वक्फ संपत्तियों का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
3. संपत्ति के वक्फ के नियमों में सुधार
- अब किसी ऐसी संपत्ति को वक्फ नहीं किया जा सकता, जिसपर किसी का हक हो। इसका मतलब है कि महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को दरकिनार करके संपत्ति को वक्फ नहीं किया जा सकता।
- इस्तेमाल के आधार पर वक्फ की संपत्ति का दावा मान्य नहीं होगा। इसके लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
4. जिला कलेक्टर की भूमिका में वृद्धि
- वक्फ संपत्ति के सर्वेक्षण का अधिकार अब जिला कलेक्टर के पास होगा। पहले यह काम एक स्वतंत्र सर्वेक्षण आयुक्त करता था।
- वक्फ संपत्ति की पहचान और दस्तावेजीकरण के लिए जिला कलेक्टर सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।
- अगर किसी संपत्ति को लेकर विवाद होता है, तो अब उसका फैसला जिला कलेक्टर द्वारा लिया जाएगा। पहले यह अधिकार वक्फ ट्रिब्यूनल के पास था।
5. वक्फ बोर्ड के कार्यों का ऑडिट
- वक्फ बोर्ड के कार्यों का नियमित ऑडिट होगा, जिससे उनकी जवाबदेही बढ़ेगी।
6. आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा
- सरकार ने यह प्रावधान किया है कि आदिवासियों की जमीन पर वक्फ बोर्ड का कोई दावा मान्य नहीं होगा। इससे आदिवासियों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
मुसलमानों का भला कैसे होगा?
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री किरन रिजीजू ने दावा किया है कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा। उनका यह दावा इस तथ्य पर आधारित है कि विश्व में सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां भारत में हैं।
भारत में लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.72 लाख संपत्तियां वक्फ के अंतर्गत आती हैं, जिनसे वार्षिक आय करीब 200 करोड़ रुपये है। सरकार चाहती है कि इन संपत्तियों का सही उपयोग किया जाए, ताकि गरीब मुसलमानों को बेहतर जीवन स्तर प्राप्त हो सके। इसके अलावा, महिलाओं और बच्चों को भी इसका लाभ मिल सके।
वक्फ बिल से मुसलमानों को लाभ होगा, क्योंकि यह वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा।
इससे वक्फ बोर्ड की शक्तियों में सुधार होगा और भूमि अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर रोक लगेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग सही तरीके से हो और मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा हो।
सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, अगर वक्फ संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो इनसे लगभग 12,000 करोड़ रुपये की सालाना आय हो सकती है।
यह आय मुस्लिम समुदाय के शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के लिए उपयोगी हो सकती है। हालांकि, वक्फ प्रणाली की पारदर्शिता और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है ताकि इसका सही तरीके से उपयोग हो सके।
हिंदुओं के लिए, यह बिल एक बड़ा सुधार है, क्योंकि यह वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को सीमित करता है। 1995 के वक्फ अधिनियम ने हिंदुओं के धार्मिक स्थलों, गांवों और सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे की अनुमति दी थी।
इससे हिंदुओं के धार्मिक स्थलों को वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में लाने की अनुमति दी गई। यह बिल इन गलतियों को दूर करने का प्रयास करता है।
उदाहरण के लिए, अनेक मंदिरों की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अवैध रूप से घोषित किया था। इस बिल के माध्यम से इन मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। इससे हिंदुओं के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा होगी।
एक नई शुरुआत
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 एक ऐसा कदम है जो भारत के विविध समुदायों के हितों की रक्षा करते हुए, समाज को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है। इसका वास्तविक परीक्षण उस समय होगा, जब यह बिल जमीन पर उतरेगा और इसके प्रभाव सामने आएंगे।
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