वक्फ बोर्ड एक ऐसी संस्था है, जिसे मुस्लिम समुदाय द्वारा अल्लाह के नाम पर दान की गई संपत्तियों की देखरेख और प्रबंधन के लिए बनाया गया है। वक्फ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के “वकुफा” से हुई है, जिसका अर्थ है रोकना या समर्पित करना। वक्फ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और समाज कल्याण से जुड़े कार्यों के लिए दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करना है। भारत में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं, जो देशभर में फैली लाखों एकड़ जमीन और संपत्तियों की देखभाल करते हैं।
वक्फ बोर्ड पर लगे अनियमितता और दुरुपयोग के आरोप
हाल के वर्षों में वक्फ बोर्डों के कार्यों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आए हैं। इन आरोपों में शामिल हैं:
1. संपत्तियों को वक्फ घोषित करने में गड़बड़ी (धारा 40 का दुरुपयोग):
वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 40 वक्फ बोर्ड को यह अधिकार देती है कि वह यह तय कर सके कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं। इस प्रावधान का दुरुपयोग कर वक्फ बोर्डों ने कई संपत्तियों को वक्फ घोषित किया, जिससे:
• कानूनी विवाद बढ़े।
• समुदायों में असामंजस्य पैदा हुआ।
• संपत्तियों के दुरुपयोग और हड़पने के आरोप लगे।
2. मुतवल्लियों की नियुक्ति में गड़बड़ी:
वक्फ बोर्डों पर आरोप है कि उन्होंने मुतवल्लियों (संपत्तियों के देखभालकर्ता) की नियुक्ति में भ्रष्टाचार किया। यह नियुक्तियां पारदर्शिता के अभाव और सिफारिशों के आधार पर की गईं।
3. बड़ी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित करना:
वक्फ बोर्डों ने कई बार विवादित तरीके से बड़ी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित किया। उदाहरण के तौर पर, सितंबर 2022 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने पूरे थिरुचेंदुरई गांव (जो हिंदू बहुल क्षेत्र है) को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। इससे स्थानीय निवासियों के अधिकारों पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए और तनाव का माहौल बना।
वक्फ (संशोधन) विधेयक का महत्व
इन अनियमितताओं और विवादों को देखते हुए वक्फ (संशोधन) विधेयक की आवश्यकता बढ़ गई है। यह विधेयक वक्फ बोर्ड की शक्ति को सीमित करने और इसके कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित करता है:
1. धारा 40 का निष्कासन:
इस प्रावधान को हटाकर संपत्तियों की वक्फ स्थिति तय करने का अधिकार जिला कलेक्टर को सौंपने का प्रस्ताव है। इससे वक्फ बोर्डों के मनमाने अधिकार पर अंकुश लगेगा।
2. प्रबंधन में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना:
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का सुझाव दिया गया है, ताकि संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
3. केंद्रीय सरकार को अधिक अधिकार:
पंजीकरण, लेखा-जोखा के प्रकाशन और वक्फ बोर्ड की कार्यवाही के संचालन में केंद्रीय सरकार को नियम बनाने का अधिकार दिया जाएगा। इससे केंद्र स्तर पर निगरानी और जवाबदेही बढ़ेगी।
विधेयक क्यों है आवश्यक?
वक्फ संपत्तियां भारतीय सेना और रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा भूमि की मालिक हैं। इन संपत्तियों का दुरुपयोग न केवल कानूनी विवादों को बढ़ाता है, बल्कि यह समुदायों में असंतोष और विश्वास की कमी का कारण भी बनता है। वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता के नाम पर किए जा रहे दुरुपयोग पर लगाम लगाना आवश्यक है। वक्फ (संशोधन) विधेयक इस दिशा में एक सही कदम है, जो न केवल इन संपत्तियों के न्यायपूर्ण प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा, बल्कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द को भी बनाए रखने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने और इसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक एक समयोचित और आवश्यक कदम है। यह विधेयक भ्रष्टाचार और दुरुपयोग को रोकते हुए वक्फ संपत्तियों के उचित और पारदर्शी प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता है, जो धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करे और सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करे।